Saturday, August 2, 2025
छत्तीसगढ़

CG : “गांजा गली पीछे है” अवैध कारोबार से तंग ग्रामीण ने अपने दीवार पर स्पस्ट लिख दिया ये संदेश…

आकाशवाणी.इन

धरसींवा, 24 मई 2025/ ब्लॉक मुख्यालय धरसींवा से सटे कुरूद-सिलयारी ग्राम पंचायत में इन दिनों खुलेआम गांजा और शराब की बिक्री के साथ सट्टे का कारोबार भी पूरे गांव मे जोरशोर से फल फूल रहा है.

दस हजार की आबादी वाला यह गांव, जो कभी अपनी शांति और सौहार्द के लिए जाना जाता था, आज नशेड़ियों और सट्टेबाजों का अड्डा बन चुका है। स्थिति इतनी विकराल हो चुकी है कि मोहल्ले वासियों ने अपनी बेबसी और गुस्से को आम जनता सहित शासन प्रशासन को बंया करने के लिए अपने घर की दीवारों पर ही गांजा मिलने का सूचक बोर्ड “गांजा गली पीछे है, कृपया अपनी गाड़ी वहीं लेकर जाएं, वार्ड क्र, 14” लिख दिया है. सूचक बोर्ड से अंदाज लगाया जा सकता है की गांजा इनके पीछे वाली गली मे मिलता है और उसके खरीदार गाड़ी को इन्ही के घर सामने गाड़ी खड़ी कर पीछे वाली गली मे जाते हों, इन सब अवैध गतिविधियों मे लिप्त लोगों से परेशान होकर घर मालिक ने स्पस्ट दीवार पर सूचना लिखा है.

कुरूद-सिलयारी, जो आसपास के 20 गांवों को जोड़ता है और जहां लोग हाट बाजार खरीदारी के लिए भी आते हैं, सरकार द्वारा हाई स्कूल, अस्पताल और पुलिस चौकी जैसी महत्वपूर्ण सुविधाएं भी उपलब्ध हैं। इसके अलावा यहां रेलवे स्टेशन भी है, जो इसकी महत्ता को और बढ़ाता है। कभी शांत प्रिय रहा यह गांव, आज नशे, शराब व सट्टे के अवैध कारोबार की गिरफ्त में है.

पुलिस और प्रशासन की निष्क्रियता: एक बड़ी वजह

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि अवैध शराब, गांजा और सट्टे का यह कारोबार सिलयारी पुलिस चौकी से महज 200 मीटर की दूरी पर खुलेआम चल रहा है। शाम ढलते ही गांव की गलियों में नशेड़ियों और जुआरियों का जमावड़ा लग जाता है, जिससे आम लोगों, खासकर महिलाओं और बच्चों का घर से बाहर निकलना दूभर हो गया है। ग्रामीणों का आरोप है कि उन्होंने कई बार स्थानीय पुलिस को इस अवैध कारोबार की सूचना दी है, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। शिकायत के बावजूद, पुलिस चौकी की इतनी कम दूरी पर खुलेआम चल रहा यह काला धंधा पुलिस के निष्क्रिय रवैये पर कई सवाल खड़े करता है.

पंचायत प्रतिनिधि भी बेबस, सुशासन शिविर में भी नहीं मिली राहत

हैरानी की बात यह है कि ग्राम पंचायत के प्रतिनिधि भी इस समस्या से पार नहीं पा सके हैं। उनकी कोशिशें भी नाकाम साबित हुई हैं। ग्रामीणों ने अपनी पीड़ा को लेकर सुशासन तिहार शिविर में भी गुहार लगाई थी, लेकिन वहां से भी उन्हें निराशा ही हाथ लगी। ऐसा लगता है कि नशे और अवैध शराब के इस कारोबार को रोकने के लिए प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की इच्छाशक्ति कहीं कमजोर पड़ रही है.

युवा पीढ़ी पर मंडराता खतरा, गांव का भविष्य अधर में

इस तरह खुलेआम बिक रहे धीमा जहर और सट्टे के दलदल का सबसे बुरा असर गांव की युवा पीढ़ी पर पड़ रहा है। कई युवा नशे की लत और सट्टे के शिकार हो रहे हैं, जिससे उनका भविष्य अंधकारमय होता जा रहा है। जल्द ही इस पर अंकुश लगाए जाने के साथ कुरूद-सिलयारी गांव सहित  सामाज को निजात दिलाने की जरूरत है. यह केवल कानून-व्यवस्था का मुद्दा नहीं, बल्कि हर एक व्यक्ति को नशे के साथ अबैध कारोबार को जड़ से मिटाने के लिए एकजुट होकर आगे आना होगा.