Monday, June 16, 2025
कोरबा न्यूज़

स्व. कामरेड नवरंग लाल अग्रवाल को उनकी पुण्यतिथि पर जिले में विभिन्न स्थानों पर अर्पित की गयी श्रद्धांजलि

कोरबा/ आकाशवाणी.इन

कोरबा शहर के ईमानदार, मिलनसार व जुझारू नेता स्व. कामरेड नवरंग लाल अग्रवाल को उनकी पुण्यतिथि पर जिले में विभिन्न स्थानों पर श्रद्धांजलि अर्पित की गई। वे किसान मजदूरों के हक की लड़ाई के लिए हमेशा आगे रहते थे। कामरेड नवरंग लाल अग्रवाल एक दृढ़ संकल्प शक्ति वाले सर्वप्रिय और लोकप्रिय नेता थे, जिन्होंने हमेशा गांव और गरीबों के लिए संघर्ष किया। संपूर्ण छत्तीसगढ़ में उनकी टक्कर का नेता आज भी मिलना बहुत मुश्किल है।
उद्योग और मजदूरों के इस शहर में दर्जनों संगठन है तो उनसे पांच गुना ज्यादा श्रमिक नेता, लेकिन वंचित वर्गों की जुबां स्वर्गीय कामरेड नवरंग लाल की कमी कोई पूरा ना कर पाया और ना शायद कर पाएगा। मजदूरों, शोषितों की लड़ाई लड़ते अकसर सलाखों के पीछे जाने वाले स्वर्गीय कामरेड नवरंग लाल के रूप में शोषित मजदूरों को नेतृत्व एक ऊर्जावान नेतृत्व मिला, न चिलचिलाती धूप की फिक्र थी न मूसलाधार बारिश और न ही कड़कती ठंड, संघर्ष कभी थमा नहीं। सार्वजनिक उपक्रमों में कार्यरत मजदूरों को उनके पसीने का हक दिलाने कामरेड ने न केवल तकलीफें झेली, बल्कि मजदूरों को न्याय दिलाया। अपने संघर्ष पूर्ण व्यक्तित्व के कारण वे प्रशासन की नजरों में भी खटकते थे।
हरियाणा से रोहतक जिले के मातनहेल ग्राम में 1936 में जन्मे नवरंग लाल अग्रवाल पहले व्यवसाय की नियत से सरगुजा गए थे, लेकिन सामाजिक विषमताओं ने उन्हें आंदोलन के लिए प्रेरित किया। सूदखोरों से जंग की शुरुआत जब उन्होंने की तो उनके खिलाफ जिलाबदर की तैयारी होने लगी, तब उनके जीजा उन्हें कोरबा ले आए। मजदूरों के हक की लड़ाई लड़ने के दौरान उन्हें 200 से अधिक बार जेल जाना पड़ा। मजदूरों के बीच लोकप्रियता ने कामरेड का दायरा बढ़ाया और अन्य स्थानों के भी मजदूरों को साथ मिलता गया.
स्वर्गीय नवरंग लाल ने प्रकाश इंडस्ट्रीज, रेमंड सीमेंट में मजदूरों के हित में भी लंबी लड़ाई लड़ी। ताउम्र मजदूरों के हितों को लेकर लड़ते-लड़ते आखिरकार फरवरी 1999 को कामरेड नवरंग लाल का देहांत स्थानीय चिकित्सालय में हुआ। तब से लेकर आज तक श्रमिकों के हित में उठने वाली ऐसी आवाज आज सुनाई नहीं देती.

“लड़ेंगे जीतेंगे जितना बनेगा करेंगे”
“लड़ेंगे जीतेंगे जितना बनेगा करेंगे” के जयघोष के साथ अमित नवरंगलाल अग्रवाल अपने स्वर्गीय पिता के पदों का अनुशरण करने का भरसक प्रयत्न कर रहे हैं। किसी भी पीड़ित की समस्या के निराकरण के लिए वे सतत प्रयासरत रहतें हैं। वे देवदूत बनकर लोगों की बिना किसी भय के सेवा करते उस वक़्त नजर आएं जब कोरोना की दूसरी लहर लोगों के ऊपर पहाड़ की तरह टूट पड़ी थी, जिससे कई घर तबाह हो गए। दूसरी लहर को देखते हुए कोरोना मरीजों को सभी प्रकार की सुविधा मुहैया कराने के लिए एक टीम एक्टिव बनाई, जिसके द्वारा कोरोना से पीड़ित मरीजों को हर सभंव मदद करने निःशुल्क सेवा भाव अपनाते हुए आक्सीमीटर, आक्सीजन सिलेंडर, एंबुलेंस, 24 घंटे सेवा में तत्पर रहे.