देखिये👉 आकाशवाणी.इन न्यूज़ कि ख़बर का EXCLUSIVE असर…अहिरन नदी में समाहित हो रहा राखड़ बंद
कोरबा/ आकाशवाणी.इन
आकाशवाणी.इन न्यूज़ की खबर का EXCLUSIVE असर हुआ है. एचटीपीपी के डंगनिया खार स्थित डेम से राखड़ मिश्रित पानी अहिरन नदी में बहाया जा रहा था. नदी को प्रदूषित किये जाने की खबर को लापरवाही EXCLUSIVE एचटीपीपी की डंगनिया खार डेम से नदी में बहा रहे राखड़ खतरे में अहिरन का अस्तित्व नामक शीर्षक से आकाशवाणी.इन न्यूज़ ने 28 जनवरी 2023 की शाम को प्रमुखता से वायरल किया था. खबर वायरल होने के बाद प्रबंधन हरकत में आया और नदी में जाकर समाहित हो रहे राखड़ पानी को बंद कराया गया. अब कलकल बहती अहिरन नदी को राखड़ युक्त दूषित पानी से मुक्ति मिली है.
👉ये है 28 जनवरी की वायरल खबर
हसदेव ताप विद्युत संयंत्र कोरबा पश्चिम (एचटीपीपी) के डंगनियाखार स्थित राखड़ बांध से राख मिश्रित पानी अहिरन नदी में समा रहा है। बताया जा रहा है कि राखड़ पानी बहाने का काम पिछले 15 दिनों से लगातार जारी है. इससे अहिरन नदी का अस्तित्व खतरे में है.
आपको बताते हैं डंगनियाखार में अहिरन नदी किनारे राखड डैम निर्मित है। इसकी देखरेख के लिए बाकायदा कर्मचारी नियुक्त किए गए हैं. साथ ही भू- विस्थापितो को भी इस कार्य के लिए रखा गया है। वर्तमान में भू- विस्थापित काम बंद हड़ताल पर हैं। इसलिए इसके देखरेख का पूरा दारोमदार एचटीपीपी कर्मचारीयों पर है. अधिकारियों की अनदेखी की वजह से भारी मात्रा में राखड़ युक्त पानी अहिरन नदी में बहाया जा रहा है. राखड़ मिश्रित पानी से नदी का स्वच्छ पानी दूषित हो रहा है. नदी किनारे बसे ग्रामवासियों व जानवर राखड युक्त पानी पीने सहित दिनचर्या में उपयोग करने विवश है. राखड़ युक्त पानी के उपयोग करने से आमजनो के शरीर पर गलत प्रभाव पड़ रहा है साथ ही लोग कई प्रकार की बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं.
इस संबंध में जब जेई राजिनेश ठाकुर से बात की गई तो उनका कहना था कि कहां बह रहा है उतना कोई ज्यादा थोड़ी न है. टिन डिस्चार्ज ही जा रहा है, पाइप बंद है हमारा पानी साफ करके ही भेजा जा रहा है. पानी साफ नही है फिल्टर करके ही पानी भेजा जा रहा है. ये राखड़ पानी नही है. अधिकारी ने तो पल्ला झाड़ते हुए साफ कह दिया कि ये राखड़ पानी नही है. अब आप जरा इन तस्वीरों और वीडियो में दिखाई दे रहा पानी पर नज़रें इनायत करिये कि क्या ये सफेद रंग का राखड़ पानी जो अहिरन नदी के स्वच्छ पानी में मिलकर उसे दूषित कर रहा है.
इस संबंध में जब पर्यावरण अधिकारी शैलेश पिस्दा से दूरभाष पर जानकारी चाही गई तो उनके द्वारा फोन रिसीव नही किया गया.
यही वहज है जब जिम्मेदार अधिकारी अपने कर्तव्य से पल्ला झाड़ें तो फिर कोई भी संयंत्र क्यों अपनी मनमानी नही करेगा. विभाग की अनदेखी से कोई कार्रवाई नहीं हो रहा है.
आकाशवाणी.इन न्यूज़ में ख़बर वायरल होते ही प्रबंधन हरकत में आया और अहिरन नदी में समाहित हो रहे राखड़ युक्त पानी को डंगनिया खार डेम से बंद कराया गया.
