स्वच्छ जल के अभाव में आज भी सूखे हैं इनके कंठ, आखिर कौन बुझायेगा इन ग्रामीणों की प्यास…
छत्तीसगढ़/ कोरबा/ आकाशवाणी.इन
सर्दी हो या गर्मी में लोगों के लिए सबसे अहम है स्वच्छ जल जिससे लोग अपनी प्यास बुझाते हैं। वहीं कोरबा जिले का एक ग्राम पंचायत ऐसा है जहाँ स्वच्छ जल के अभाव में ग्रामीणों के कंठ आज भी सूखे हैं। अब सवाल उठता है कि आखिर कौन बुझायेगा इनकी प्यास.
हम बात कर रहे हैं कोरबा जिले के पोड़ी उपरोड़ा ब्लॉक के ग्राम पंचायत साखों का, यहां जिल्दा मोहल्ला, पटेल पारा व रनई पहाड़ बस्ती का जहाँ निवासरत ग्रामीणों को वर्षों से स्वच्छ जल नसीब नही हो रहा है। हाल ही में जिला प्रशासन ने पेयजल समस्या का निराकरण करने अधिकारियों के साथ ही टोल फ्री नंबर भी जारी किया है इसके बाद भी समस्या का कोई समाधान नही हो पा रहा। पेयजल की उपलब्धता को लेकर शासन प्रशासन के तमाम दावे इस बस्ती में खोखले साबित हो रहे हैं.
इस गांव के ग्रामीणों को बरसों बाद भी पीने का शुद्ध पानी नसीब नही हो रहा है। मजबूर ग्रामीण हर मौसम में डुबान का पानी लाकर पीते हैं, इन बस्तियों में कोई भी सामाजिक कार्यक्रम हो तो यहाँ की महिलाएं दूरी तय कर पानी ढोती हैं.
हम सभी के लिए शुद्ध पेयजल अतिआवश्यक है पर इन ग्रामीणों को पीने के लिए आज तक कभी शुद्ध जल नही मिल सका.
ये वही किसान हैं जिनकी जमीन बांगो डुबान में समाहित हो गई, छत्तीसगढ़ के सबसे बडे बांध का पानी इन किसानों की अधिग्रहित हो चुकी ज़मीन से होकर अन्य जिले को लाभ पहुंचा रही। आज यही ग्रामीण मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं वर्षों बीत गए लेकिन एक हैण्डपम्प स्थापित नही हो सका.
इस समस्या की हकीकत जानने सरपंच से सम्पर्क किया गया तो उन्होंने बताया कि गाँव के दो से तीन बस्तियों में आज पर्यन्त तक हैंडपंप की उपलब्धता नही हो सकी है। इन बस्तियों तक बोर खनन का वाहन नही पहुंच पाता इस वजह से समस्या है।
आजादी के 75 साल में आधुनिकता आसमान में चाँद तक पहुंच गया पर इस गाँव में बोर खनन के लिए वाहन न पहुंच सका न ही कोई दूसरा रास्ता अपनाया गया। इन गरीब परिवारों को अपनी स्वास्थ्य से समझौता करते हुए बांगो डुबान के पानी को निस्तारी के साथ खाने पीने के लिए उपयोग करना पड़ रहा है। विकास का गाथा गढ़ने वाली सरकारों का ध्यान इस बस्ती तक नही पहुंची यही वजह है ग्रामीण आज भी पेयजल जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं.
ग्रामीण की सुने…
मुझे शादी के बाद ससुराल पहुंचे करीब 40 साल हो गए, तब से लेकर आज तक हमारे बस्ती में हैण्डपम्प नही लग पाया इसलिए बांगो डुबान का पानी पीते हैं।
सुकवारो बाई
नल नही होने से पेयजल की समस्या तो विकराल है, अगर हमें हैंडपंप का पानी पीना हो तो दो से तीन किलोमीटर दूर लरला बस्ती जाना पड़ेगा। मजबूरी में बांगो डुबान का पानी ही पी रहे हैं.
सुरेंद्र मंझवार
बस्ती के लोग हमेशा से शुद्ध पेयजल के प्यासे रहे हैं, बांगो डुबान का पानी पीने से कई स्वास्थ्य समस्याएं आती हैं फिर भी हालात के साथ स्वास्थ्य से समझौता कर जीवन यापन कर रहे हैं.
छोटेलाल
हैंडपंप नही होने से डुबान का पानी पीने से लेकर अन्य कार्यों में उपयोग करते हैं, बांगो डुबान में हमारी जमीन समाहित हो गई लेकिन एक हैंडपंप नही मिला, जिससे हमें शुद्ध पेयजल मिल सके.
समार साय
शासन प्रशासन से उम्मीद…
भले ही इन ग्रामीणों को आजादी के 75 साल बाद शुद्ध पेयजल नसीब न हो सका हो लेकिन इन ग्रामीणों के हौसले बुलंद हैं. इन्होंने हालात से समझौता कर जीना सीख लिया है.
ये ग्रामीण कहते हैं कि हमारे गांव से कोरबा की दूरी 80 किलोमीटर है इस वजह से हम अपनी मूलभूत सुविधाओं के लिए नही पहुंच पाते, प्रशासन हमारी बस्ती में एक झलक झांक कर देख लें तो शायद समस्याओं का निराकरण हो जाता.
बहरहाल पेयजल समस्या से जूझ रहे बस्ती वालों को शासन प्रशासन से उम्मीद बंधी है कि कभी तो हैंडपंप लगाया जाएगा जिससे ये गंभीर पेयजल संकट दूर होगा.
