कोयला ढुलाई के लिए रोजाना 70 रैक की जरूरत, रेलवे से मिल रहा 42 रैक
कोरबा/ आकाशवाणी.इन
कोरबा जिले में स्थित उत्पादन क्षेत्र में कोल इंडिया की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी एसईसीएल कोयला ढुलाई को लेकर परेशान है। इसकी वजह जरुरत के अनुसार रेल रैक का उपलब्ध नहीं हो पाना है। इससे स्टॉक में कोयले का भंडारण भी बढ़ता जा रहा है। गर्मी में स्टॉक के कोयले में आग लगने की चिंता भी स्थानीय प्रबंधन को सता रही है.
अप्रैल में कोरबा जिले की खदानों से रोजाना औसत लगभग डेढ़ से दो लाख टन कोयला खनन हो रहा है। इसे खदान से निकालकर कर स्टॉक में लाया जा रहा है। मगर कोयले को भेजने के लिए प्रबंधन के पास रेल रैक की कमी पड़ रही है। एसईसीएल के एक अधिकारी ने बताया कि कंपनी को प्रतिदिन औसत 70 रेल रैक की जरुरत है। ताकि कोरबा, गेवरा, दीपका, कुसमुंडा और अन्य एरिया की खदानों से कोयला बिजली घरों या अन्य उद्योगों को दिया जाए। मगर प्रतिदिन 40 से 42 रेल रैक ही उपलब्ध हो पा रहे है।इसका सीधा एसईसीएल पर पड़ा रहा है। स्टॉक में कोयले का भंडारण बढ़ता जा रहा है.
कोयला कंपनी की ओर से बताया गया है कि रैक की मांग को लेकर एसईसीएल के साथ लगातार बातचीत चल रही है। कोरबा में कोयले का विशाल भंडार हे। इसका खनन एसईसीएल की ओर से किया जाता है। देश में कोयले की मांग लगातार बढ़ रही है। इसकी पूर्ति के लिए कोयला कंपनी खनन को बढ़ा रही है। खदान का विस्तार कर रही है। माल ढुलाई में तेजी लाने के लिए कुसमुंडा में बड़े-बडे़ साइलों का निर्माण अंतिम चरण में है। दीपका में भी साइलो का काम चल रहा है। कोयला परिवहन के लिए रेल कोरिडोर के तहत लाइन भी बिछाई जा रही है, लेकिन अब रैक की कमी बाधा बन रही है। प्रबंधन की ओर से कहा गया है कि रैक की कमी दूर होने पर कंपनी कोयला डिस्पैच के निर्धारित लक्ष्य को हासिल कर सकती है। मगर जरूरत के अनुसार रैक नहीं मिलने पर परेशानी आ रही है। यह आने वाले दिनों में भी जारी रहने की संभावना है.
कोरबा जिले से 157 मिलियन टन कोयला खनन का लक्ष्य
चालू वित्तीय वर्ष में एसईसीएल ने कोरबा जिले की खदानों से 157.55 मिलियन टन कोयला खनन का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसमें सबसे अधिक 62 मिलियन टन कोयला गेवरा से खनन करने की योजना की है। इसके अलावा कुसमुंडा से 50 मिलियन टन, दीपका से 40 मिलियन टन, कोरबा एरिया से 7.72 मिलियन टन कोयला शामिल है.
रेल लाइन की कनेक्टिविटी बढ़ाने पर जोर पर अब रैक की समस्या ने बढ़ाई चिंता
बताया जाता है कि रेलवे के पास कोयला ढुलाई के जरुरत के अनुसार रैक नहीं है। जबकि देशभर में कोयले की मांग बढ़ रही है। इसकी पूर्ति के लिए कोल इंडिया का प्रबंधन रेलवे के सम्पर्क में है। मगर स्थिति में सुधार नहीं हो रहा है.
सड़क मार्ग पर बढ़ रहा दबाव
कोरबा जिले से कोयला ढुलाई के लिए एसईसीएल को रेलवे से पर्याप्त रेल रैक नहीं मिल रहा है। इसका असर सड़क पर मार्ग पर पड़ रहा है। कोरबा से छत्तीसगढ़ के भीतर जैसे रायपुर, बिलासपुर, भिलाई, दुर्ग और रायगढ़ सहित अन्य क्षेत्रों में स्थित उद्योगों के लिए कोयला सड़क मार्ग से ढोया जा रहा है। इससे सड़क पर भारी गाड़ियों का दबाव बढ़ रहा है। लोग हादसे का शिकार हो रहे हैं.
2021-22 में 415 एमटी कोयला भेजा गया रैक के जरिए
एसईसीएल की ओर से बताया गया कि 2021-22 की में अनुमान के अनुसार लगभग 415 एमटी कोयला रेल के जरिए डिस्पैच किया गया। 2022-23 में इसमें और बढ़ोत्तरी हुई है.
