फिर उठा मामला साजापानी पंचायत का: लाखों की बड़ी राशि के गबन मामले में मात्र एक लाख 75 हजार वसूली, अधिकारी दे रहे संरक्षण, की जानी चाहिए कड़ी कार्यवाई- अधिवक्ता शिव चौहान
कोरबा/ आकाशवाणी.in
ग्राम पंचायत साजापानी जनपद पंचायत करतला में फर्जी बिल प्रस्तुत कर गबन का मामला एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है। छत्तीसगढ़ मानव अधिकार जेजेएफ के प्रदेश सदस्य अधिवक्ता शिवचरण चौहान ने कलेक्टर के नाम पत्र प्रेषित कर आरोप लगाया है कि ग्राम पंचायत साजापानी में फर्जी बिल प्रस्तुत कर लाखों की राशि का गबन किया गया है। मामले में जिला पंचायत सीईओ ने जांच के आदेश दिए थे। जांच में लाखों की बड़ी राशि के गबन का खुलासा हुआ था, लेकिन मात्र एक लाख 75 हजार की वसूली कर खानापूर्ति कर ली गई।
छत्तीसगढ़ मानव अधिकार जेजेएफ के प्रदेश सदस्य व अधिवक्ता शिवचरण चौहान ने पत्र में उल्लेख किया है कि फर्जी बिल से राशि का गबन की शिकायत पूर्व में की गई थी। शिकायत के बाद जिला पंचायत सीईओ ने जांच के आदेश दिए थे। रोजगार सहायक व तत्कालीन सरपंच ने फर्जी बिल प्रस्तुत करना स्वीकार किया था। इसके बावजूद जिला पंचायत सीईओ कंवर ने पुनः जांच का आदेश जारी कर दिया। जांच रिपोर्ट के अनुसार 2015‘-16 से 2018-19 तक कुल 47 नग बिल एवं राशि 4310200 रूपए का उपयोग होना पाया गया था। मामला गंभीर प्रमाणित होने पर पुनः जिला पंचायत सीईओ द्वारा जनपद पंचायत करतला को जांच के आदेश दिए गए। तत्पश्चात सीईओ जिला पंचायत कोरबा, सीईओ जनपद पंचायत करतला, करोरोपण अधिकारी कलेश्वर सिंह तंवर एवं उदय सिंह कंवर, ग्राम पंचायत सचिव, सरपंच एवं रोजगार सहायक ने मिलीभगत कर 47 नग फर्जी बिल में से 38 नग फर्जी बिल को गायब कर उसके स्थान पर मिलता जुलता जय हनुमान ट्रेडर्स ग्राम कांशीपानी, ग्राम पंचायत लबेद का 88 नग बिल राशि 35,90000 रूपए का बिल अवैध ढंग से समावेश कर दिया गया। इसके बाद मात्र 175000 रूपए की वसूली कर खानापूर्ति कर एफआईआर का निर्देश दिया गया। इसके बाद अब तक एफआईआर दर्ज नही किया जा सका। इस तरह जिला पंचायत सीईओ द्वारा रोजगार सहायक, सरपंच को बचाने के लिए अपने पद की गरिमा को धूमिल किया जा रहा है। जांच प्रतिवेदन में 35,90000 का कार्य होना बताया गया। उक्त कार्य का मूल्यांकन भी नहीं हुआ है। कार्य की प्रशासनिक स्वीकृति भी नहीं मिली है। उक्त ट्रेडर्स के नाम पर क्रय सामान का भुगतान जारी नहीं हुआ है। 2016-17 में लगभग 6 लाख का मुरूमीकरण दर्शित है, जिसे 11 जुलाई 2022 को मुरूमीकरण पाया जाना भ्रष्टाचार को इंगित करता है। अधिवक्ता शिवचरण चौहान ने बताया कि दस्तावेज गायब होने की संभावित सूचना पूर्व में दी गई थी। अधिकारियों की उदासीनता के कारण दस्तावेज में हेराफेरी की गई। वर्तमान सचिव द्वारा दायित्व का निर्वहन न कर इसमें सहयोग किया गया। शिकायत प्रमाणित होने के बाद भी जांच के आदेश दुबारा दिए गए। इस तरह जनता के हित में प्राप्त राशि का अवैध रूप से गबन किया गया। इसमें जिला पंचायत की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। श्री चौहान ने कलेक्टर को पत्र लिखकर फर्जी बिल से गबन राशि की जांच कर संबंधित लोगों से वसूली की जाने की गुजारिश की है।
