ग्रेड वन का बेसिक 60 हजार मान लेते तो वेतन विसंगति नहीं होती, कोयला कर्मियों के 19 फीसदी एमजीबी पर दिया जवाब
कोरबा/ आकाशवाणी.इन
कोयला वेतन समझौता की राह में डीपीई गाइडलाइन बड़ी समस्या बनी हुई है। कोयला मंत्रालय की ओर से मांगी गई जानकारी पर कोल इंडिया की ओर से जवाब दिया गया है कि 2018 में कोल इंडिया बोर्ड ने स्वीकृति देते हुए ई-1 ग्रेड के अधिकारियों का बेसिक 60 हजार की अनुशंसा की थी। अनुशंसा को कोयला मंत्रालय ने स्वीकार नहीं किया। यानी 60 हजार बेसिक स्वीकार कर लिया जाता तो कोयलाकर्मियों के सबसे ऊंचे ग्रेड के कर्मियों का वेतन ई-वन ग्रेड के अधिकारियों से ज्यादा नहीं होता।मालूम हो डीपीई गाइडलाइन में शर्त है कि किसी भी स्थिति में कोयलाकर्मियों का वेतन अधिकारियों के सबसे नीचे ग्रेड यानी ई-वन से ज्यादा नहीं होना चाहिए। कोल इंडिया की ओर से लिखी गई चिठ्ठी में लिखा गया है कि ई-वन ग्रेड में वहीं अधिकारी होते हैं, जो कर्मचारी से प्रोन्नति पाकर आते हैं। अधिकारियों की बहाली ई-टू में होती है और एक साल बाथ उन्हें ई-थ्री ग्रेड में प्रोन्नत कर दिया जाता है.
पत्र में जेबीसीसीआई 11 के संभावित आर्थिक असर को 6701 करोड़ बताया गया है। अभी अलाउंस सहित अन्य मुद्दों पर निर्णय होना बाकी है। मालूम हो कि डीपीई गाइडलाइन को लेकर सीएमओएआई भी सक्रिय हो गया है। सीएमओएआई की ओर से प्रतिनिधिमंडल ने मंत्री और सचिव से आग्रह किया है कि गैर अधिकारियों का वेतन चाहे कितना भी बढ़े उससे सीएमओएआई को मतलब नहीं है। सीएमओएआई इतना चाहता है कि वेतन विसंगति की स्थिति नहीं हो.
