Saturday, August 2, 2025
छत्तीसगढ़

CG NEWS : फर्जी हस्ताक्षर से निकाले 41 लाख, गड़बड़ी उजागर करने वाले सचिव को ही कर दिया सस्पेंड…

आकाशवाणी.इन

बिलासपुर, 26 जुलाई 2025/ बिलासपुर में जनपद पंचायत बिल्हा के ग्राम पंचायत ढेका में पूर्व सरपंच व दूसरे पंचायत के सचिव ने मिलकर 41 लाख रुपए का बंदरबाट कर दिया। जिला पंचायत के अफसरों ने इस मामले की जांच से पहले ही गड़बड़ी को उजागर करने वाले सचिव को सस्पेंड कर दिया है, जिससे जांच पर सवाल उठने लगा है। बता दें कि सरकारी पैसों की गड़बड़ी के इस खेल को सचिव ने सामने लाया और अफसरों को इसकी जानकारी देकर फर्जीवाड़ा करने वाले पूर्व सरपंच के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की अनुमति मांगी। लेकिन, जिला पंचायत के अफसरों ने जांच से ही सचिव सचिन कौशिक की भूमिका को संदिग्ध मानते हुए उसे निलंबित कर दिया गया है.

ग्राम पंचायत ढेका की नई पंचायत गठन के बाद जब सचिव सचिन कौशिक को दस्तावेज सौंपे गए, तब उन्हें करोड़ों की योजनाओं में गड़बड़ी का अंदेशा हुआ। जांच में सामने आया कि पूर्व सरपंच दिनेश मौर्य ने सचिव की डीएससी पासवर्ड, मोबाइल नंबर और ईमेल बदलकर ई-ग्राम स्वराज पोर्टल से कई फाइलें अप्रूव कीं और लाखों का भुगतान कर डाला। सचिव ने बताया कि पंचायत निधि से 28.70 लाख रुपये खर्च किए गए, जबकि 16.17 लाख रुपये बैंक खातों से उनके बिना हस्ताक्षर के निकाले गए। पूर्व सरपंच दिनेश कौशिक ने जिन फर्मों को भुगतान किया है, उनमें विश्वकर्मा ट्रेडर्स प्रमुख है, जो सरपंच के करीबी और धुमा पंचायत के सचिव भानू विश्वकर्मा से जुड़ी है। ढेका के पूर्व सरपंच ने उससे मिलीभगत कर अपने दोस्तों, उनके रिश्तेदारों, कोटवार के सगे संबंधी के नाम बनी फर्म को आठ माह के भीतर 41 लाख रुपए का भुगतान कर दिया.

जानकारी के अनुसार विश्वकर्मा ट्रेडर्स भानू विश्कर्मा के बड़े भाई विष्णु विश्वकर्मा के नाम पर है। संदीप मोटर वाइडिंग एवं बोरवेल्स भानू के जीजा के नाम पर है। वहीं कोटवार की पत्नी के नाम पर कश्यप ट्रेडर्स है। बताया जा रहा है इनके नाम पर कहीं भी दुकान नहीं है। यही वजह है कि इस केस में धुमा के सचिव भानू विश्वकर्मा को भी सस्पेंड कर दिया गया है। दरअसल, पंचायत में डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट (DSC) किसी भी फाइल, भुगतान या कार्य अनुमोदन का कानूनी आधार होता है। जिसमें संबंधित पंचायत ई – ग्राम पोर्टल के माध्यम से वित्तीय लेनदेन करते हैं। इसमें पंचायत सचिव को आईडी पासवर्ड और मोबाइल नंबर दर्ज होता है। ई-ग्राम पोर्टल में दर्ज मोबाइल नंबर के पासवर्ड से ही उसमें काम होता है। सचिव सचिन कौशिक को जब उसके DSC में गड़बड़ी की आशंका हुई, तब उसने पंचायत से सारे दस्तावेज जुटाए, जिसमें पूर्व सरपंच और भानू विश्वकर्मा की मिलीभगत और फर्जी हस्ताक्षर करने का मामला उजागर हुआ.

गड़बड़ी सामने आने पर उसने अफसरों को जानकारी दी। उसने बताया कि पूर्व सरपंच ने उसके आईडी पासवर्ड के लिए रजिस्टर्ड अपने मोबाइल नंबर को बदलकर सरपंच ने अपने मोबाइल नंबर एंट्री कर दिया। ताकि, उसको गड़बड़ी की भनक न लगे। यही वजह है कि उसने इस मामले की एफआईआर दर्ज कराने की अनुमति मांगी। दरअसल, पूरे मामले में बिल्हा जनपद पंचायत के CEO एसएस पोयाम की भूमिका संदिग्ध है। क्योंकि, उन्होंने सचिव सचिन कौशिक को बताए बिना उसके हस्ताक्षर से दिए गए फर्जी आवेदनपत्र के आधार पर पूर्व सरपंच को DSC ऑपरेट करने की अनुमति दी थी। यही नहीं बिल्हा ब्लॉक के जनपद पंचायत में इस तरह से दर्जनों ऐसे पंचायत हैं, जिनका ई-ग्राम पोर्टल में संबंधित पंचायत के सचिव के बजाए दूसरे सचिव DSC ऑपरेट कर रहे हैं.

ताकि, सुनियोजित तरीके से पंचायत मद के पैसों का बंदरबाट किया जा सके। इस गड़बड़ी को उजागर करने वाले सचिव सचिन कौशिक को मोहरा बनाया गया है और उसे सस्पेंड कर दिया गया है। साथ ही कई पंचायतों का DSC ऑपरेटर करने वाले सचिव भानू विश्वकर्मा को निलंबित कर CEO को बचाने का खेल चल रहा है। निलंबित सचिव सचिन विश्वकर्मा ने पूरी गड़बड़ियों का पुलिंदा तैयार किया है, जिसमें उसके फर्जी हस्ताक्षर से जनपद पंचायत में DSC बदलने सीईओ को आवेदन देने से लेकर फर्जी हस्ताक्षर से पैसे निकालने और पंचायत में हुई गड़बड़ियों का बिल-व्हाउचर सहित अन्य दस्तावेज शामिल है, जिसके आधार पर वो फर्जीवाड़ा करने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की अनुमति मांगी है.