गोधरा कांड पर ‘सुप्रीम’ सुनवाई 13 फरवरी को, गुजरात सरकार और अन्य दोषियों ने लगाई थी याचिका
आकाशवाणी.इन
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि वह 2002 के गोधरा ट्रेन अग्निकांड मामले में गुजरात सरकार और कई अन्य दोषियों की तरफ से दायर अपीलों पर 13 फरवरी को सुनवाई करेगा.वहीं इस मामले में जस्टिस जेके माहेश्वरी और अरविंद कुमार की पीठ ने स्पष्ट किया कि अगली सुनवाई की तारीख पर मामले में कोई स्थगन नहीं दिया जाएगा.
बता दें कि.27 फरवरी.2002 को गुजरात के गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस के एस-6 कोच में आग लगने से 59 लोग मारे गए थे.जिसके बाद राज्य में दंगे भड़क गए थे.
दोषियों के लिए मौत की सजा मांगेगी गुजरात सरकार
दरअसल.गुजरात उच्च न्यायालय के अक्तूबर 2017 के फैसले को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत में कई अपीलें दायर की गई हैं.जिसमें कई दोषियों की दोषसिद्धि को बरकरार रखा गया था और 11 लोगों की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया गया था। गुजरात सरकार ने फरवरी 2023 में शीर्ष अदालत से कहा था कि वह उन 11 दोषियों के लिए मृत्युदंड की मांग करेगी.जिनकी सजा को उच्च न्यायालय ने आजीवन कारावास में बदल दिया था.
हम इस मामले को स्थगित नहीं करेंगे- न्यायमूर्ति माहेश्वरी
गुरुवार को जब मामले की सुनवाई हुई तो एक दोषी की ओर से पेश हुए वकील ने कहा कि कोई सबूत रिकॉर्ड में नहीं रखा गया है.इस पर न्यायमूर्ति माहेश्वरी ने कहा.हमें नहीं पता.हम मामले की सुनवाई करेंगे और हमने पहले भी यह स्पष्ट किया था.हम इस मामले को स्थगित नहीं करेंगे.इस मामले को कम से कम पांच बार स्थगित किया जा चुका है.पिछले एक साल से मैं इस मामले को स्थगित कर रहा हूं’
13 फरवरी को होगी मामले की अगली सुनवाई
वकील ने अदालत को बताया कि कुछ दोषियों ने माफी याचिका दायर की है जो लंबित है.मामले को स्थगित करने से इनकार करते हुए पीठ ने कहा.हमें मुख्य न्यायाधीश के कार्यालय से निर्देश मिले हैं कि आपराधिक अपील और माफी के मामलों की एक साथ सुनवाई करने की जरूरत नहीं है.एक दोषी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े ने कहा कि मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदलने के खिलाफ गुजरात की तरफ से दायर अपील पर पहले सुनवाई होनी चाहिए.अधिवक्ता हेगड़े ने कहा.22 साल बीत चुके हैं.मेरे मुवक्किलों को मौत की सजा नहीं दी गई है.इस पीठ को पहले दोष की पुष्टि करनी होगी.एक बार जब यह पुष्टि हो जाती है.तो फिर सजा सुनाने का काम आता है। जब हम इस पर विचार करेंगे.तो इसमें समय लग सकता है.अगर आप तीन जजों को भेजेंगे.तो इसका असर होगा.इसके बाद अदालत ने मामले की सुनवाई 13 फरवरी तक टाल दी.क्योंकि दोषियों की ओर से पेश वकीलों ने समय मांगा था.
