Monday, June 16, 2025
कोरबा न्यूज़

कुसमुंडा में श्रमिक नेता और पूर्व विधायक प्रतिनिधि की दबंगई: मारपीट कर आदिवासी परिवार को घर से निकाला, केस वापस लेने दी जा रही धमकी

आकाशवाणी.इन

कोरबा,21दिसंबर 2024. कुसमुंडा क्षेत्र में एक आदिवासी परिवार इन दिनों खुद को असुरक्षित महसूस कर रहा है. एसईसीएल में कार्यरत इस परिवार पर दबाव किसी बाहरी व्यक्ति का नहीं.बल्कि श्रमिक नेता मिलन पाण्डेय.कांग्रेस के पूर्व विधायक प्रतिनिधि सुरजीत सिंह और अनंत त्रिपाठी का है.आरोप है कि इन तीनों ने अपने साथियों के साथ मिलकर आदिवासी कर्मचारी मिथलेश कुमार और उनकी पत्नी के साथ मारपीट की और अब केस वापस लेने के लिए धमकियां दी जा रही हैं.न्याय की आस में पीड़ित परिवार एसपी से सुरक्षा की गुहार लगाने पहुंचा है.

कैसे शुरू हुआ मामला:

मिथलेश कुमार.जो कुसमुंडा परियोजना में सरफेस ऑपरेटर के पद पर कार्यरत हैं.ने रहने के लिए मकान की आवश्यकता जताई.इस पर श्रमिक नेता मिलन पाण्डेय.कांग्रेस के पूर्व विधायक प्रतिनिधि सुरजीत सिंह और अनंत त्रिपाठी ने विकास नगर स्थित मकान नंबर M/116 को खाली कराने और आवंटित कराने का आश्वासन दिया.इसके लिए मिलन पाण्डेय के निर्देश पर मिथलेश ने मकान में रह रहे रिटायर्ड कर्मचारी सुधीर राठौर के बेटे अविनाश राठौर के खाते में ₹40,000 फोन पे के माध्यम से भेजे.

इसके बाद मिलन पाण्डेय ने मकान का आवंटन 26 मई 2023 को मिथलेश के नाम पर करा दिया.लेकिन,रिटायर्ड कर्मचारी सुधीर राठौर ने मकान खाली करने से इनकार कर दिया.उल्टा, मिथलेश से ₹2 लाख रुपये और निकलवाए गए.जब मिथलेश ने मकान खाली कराने का दबाव बनाया,तो उन्हें बार-बार जातिगत गालियां दी गईं.

मकान कब्जा और मारपीट का विवाद:

लगातार शिकायतों के बाद 4 सितंबर 2024 को केवल कागजों में मकान खाली दिखा दिया गया, लेकिन 5 सितंबर को कांग्रेस नेता सुरजीत सिंह और सुरक्षा अधिकारी की मदद से सुधीर राठौर को मकान का अवैध कब्जा पुनःदे दिया गया. इसके बाद.मिथलेश ने 11 सितंबर को जीएम कुसमुंडा परियोजना को पत्र लिखकर इस घटना की जानकारी दी.एसईसीएल मकान के बदल में ही सरकारी ज़मीन पर राठौर ने बेजा कब्जा मकान बना रखा है लेकिन उसको भी रिक्त नहीं कराया जा रहा है.

जब 3 अक्टूबर 2024 को मिथलेश अपनी पत्नी के साथ मकान में शिफ्ट हो रहे थे.तभी श्रमिक नेता मिलन पाण्डेय.कांग्रेस के पूर्व विधायक प्रतिनिधि सुरजीत सिंह और अनंत त्रिपाठी अपने साथियों के साथ पहुंचे.आरोप है कि उन्होंने मिथलेश की पत्नी के साथ मारपीट की और जातिसूचक गालियां दीं.इस घटना में मिथलेश और उनकी पत्नी को चोटें आईं.

पुलिस कार्रवाई और धमकियां:

पहले पुलिस ने मामूली धाराओं में मामला दर्ज किया.लेकिन बाद में एससी-एसटी एक्ट की धाराएं जोड़ी गईं.एफआईआर के बावजूद, आरोपी अपनी रसूख का इस्तेमाल कर मिथलेश पर केस वापस लेने का दबाव बना रहे हैं. परिवार को जान से मारने और फिर से हमला करने की धमकियां दी जा रही हैं.पूर्व विधायक का प्रतिनिधि सुरजीत सिंह पूर्व कांग्रेसी क्षेत्रीय पार्षद का भी खास सिपहसलार होने के अलावा हाल ही के दिनों में श्रमिक नेता बना हुआ है.

न्याय की गुहार:

अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित आदिवासी परिवार ने एसपी से मुलाकात कर न्याय की गुहार लगाई है.यह मामला सिर्फ एक परिवार का नहीं.बल्कि आदिवासी अधिकारों और सामाजिक न्याय का प्रश्न है.पीड़ित परिवार ने दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई और अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की है.

ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि क्या दबंगों के आगे आदिवासी अधिकार और न्याय की लड़ाई कमजोर पड़ जाएगी.या प्रशासन इस परिवार को सुरक्षा देकर दोषियों को कानून के दायरे में लाएगा.अब यह देखना होगा कि प्रशासन और कानून कितना निष्पक्ष होकर इस मामले में काम करते हैं.