जमीन के बदले नौकरी और मुआवजा की मांग लेकर एनटीपीसी के खिलाफ आमरण अनशन में बैठे भू-विस्थापितो की बिगड़ी तबीयत, अस्पताल दाखिल होने के बाद राजन इस वजह से पुनः पहुंच गए धरना स्थल…
आकाशवाणी.इन
कोरबा जिले में संचालित नेशनल थर्मल पावर कार्पोरेशन (एनटीपीसी) के खिलाफ अपनी जमीन के बदले नौकरी और मुआवजा की मांग को लेकर आमरण अनशन पर बैठे भू-विस्थापितों की तबीयत अचानक बिगड़ गई। यह खबर मिलते ही प्रशासन का दल मौके पर पहुंचा। अफसरों ने आंदोलन में शामिल 5 भू-विस्थापितों को इलाज के लिए मेडिकल कॉलेज अस्पताल दाखिल कराया है, जबकि अन्य सदस्यों ने साफ तौर पर अस्पताल जाने से इंकार कर दिया। उन्होंने मांग पूरी होने तक अनवरत आंदोलन जारी रखने की बात कही है.
नेशनल थर्मल पावर कार्पोरेशन जमनीपाली दर्री के लिए वर्षो पहले ग्राम चारपारा कोहड़िया सहित कुछ अन्य गांव के माटीपुत्रो की जमीन अधिग्रहित की गई थी। जमीन अधिग्रहण के दौरान भू-विस्थापितों को मुआवजा के अलावा नौकरी व अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया गया था, लेकिन कई ऐसे परिवार हैं, जिन्हें सालों बाद भी नौकरी व अन्य सुविधाएं नहीं मिल सकी। जिसे लेकर लगातार आंदोलन करते आ रहे हैं। इस दौरान कई बार भू-विस्थापितों और एनटीपीसी प्रबंधन के बीच प्रशासनिक अफसर की मौजूदगी में बैठक आहूत की गई। इसके बावजूद भू-विस्थापितों की समस्या का निराकरण नहीं हुआ। कुछ माह पूर्व तत्कालीन कलेक्टर ने नौकरी का आश्वासन तो दिया, लेकिन उनके आश्वासन के बाद भी किसी तरह की पहल नहीं हुई।
जिससे आक्रोशित माटीपुत्र भू-विस्थापितों ने परिवार सहित तानसेन चौक में एनटीपीसी प्रबंधन और जिला प्रशासन के खिलाफ आमरण अनशन शुरू कर दिया है। 30 जनवरी से चलने वाले इस आमरण अनशन के छठवें दिन अचानक एक भू-विस्थापित की तबीयत एकाएक बिगड़ गई। यह खबर मिलते ही प्रशानिक अफसरों के हाथ-पांव फूल गए। वे तत्काल हरकत में आ गए। प्रशासन की ओर से तहसीलदार व अन्य अधिकारी मौके पर पहुंचे.
उन्होंने राजन पटेल, घसिया राम, रामायण, शुभम केंवट व एक अन्य को 108 संजीवनी के माध्यम से मेडिकल कॉलेज अस्पताल दाखिल कराया जहां भू-विस्थापितों का उपचार किया जा रहा है। आमरण अनशन में बैठी बुजुर्ग महिला सहित अन्य सदस्यों ने अस्पताल जाने से इंकार कर दिया। उन्होंने साफतौर पर कहा है कि जब तक प्रशासन की ओर से नौकरी और मुआवजा संबंधी लिखित पत्र जारी नहीं किया जाता तब तक आमरण अनशन समाप्त नहीं करेंगे. राजन पटेल ने बताया कि वो स्वयं अस्पताल में भर्ती थे तो उन्हें दोपहर में सूचना मिली की धरना स्थल पर बैठी महिलाओं को हटाने व तंबू उखखड़ने के लिए पुलिस और निगम अमला पहुंचा हुआ है तब अस्पताल से निकलकर वे धरना स्थल पहुंचे और अधिकारी कर्मचारियों से उनकी तीखी बहस हुई जिसके बाद सभी कर्मचारी उल्टे पांव वापस लौट गए.
