Monday, June 16, 2025
छत्तीसगढ़ न्यूज़

BIG BREAKING : SC-ST-OBC आरक्षण खत्म, RTI में दी जानकारी…देखें आदेश

रायपुर/ आकाशवाणी.इन

छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़ा वर्गों का आरक्षण पूरी तरह खत्म हो चुका है। इसकी जानकारी खुद राज्य सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग ने सूचना के अधिकार-RTI के तहत दी है। इसमें बताया गया है कि 19 सितम्बर को आये हाईकोर्ट के फैसले के बाद प्रदेश में किसी आरक्षण नियम अथवा रोस्टर के सक्रिय होने का प्रश्न ही नहीं उठ रहा है।

कोरबा के एक व्यक्ति ने सामान्य प्रशासन विभाग से पूछा था कि प्रदेश मेंं 30 सितम्बर तक कौन सा आरक्षण नियम अथवा रोस्टर सक्रिय है। उसके जवाब में सामान्य प्रशासन विभाग ने 4 नवम्बर को एक जवाब भेजा। सूचना का अधिकार-RTI कानून के तहत भेजे गए एक जवाब में सामान्य प्रशासन विभाग के अवर सचिव एसके सिंह ने तस्वीर साफ की है।

उन्होंने लिखा है, “उच्च न्यायालय बिलासपुर ने 19 सितम्बर को आदेश जारी कर सामान्य प्रशासन विभाग की नवम्बर 2012 में जारी अधिसूचना को असंवैधानिक बताया है। उसमें अनुसूचित जनजाति के लिए 32%, अनुसूचित जाति को 12% और अन्य पिछड़ा वर्गों के लिए 14% आरक्षण का प्रावधान था। राज्य सरकार इसके खिलाफ उच्चतम न्यायालय में विशेष अनुमति याचिका दायर कर रही है। अत: दिनांक 30 सितम्बर 2022 की स्थिति में आरक्षण नियम अथवा रोस्टर सक्रिय होने का प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता।’

इस जवाब से यह स्पष्ट हो गया है कि उच्चतम न्यायालय से उच्च न्यायालय का आदेश स्टे होने तक प्रदेश में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति अथवा पिछड़ा वर्गों को कोई आरक्षण नहीं मिलेगा। हालांकि सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव डॉ. कमलप्रीत सिंह ने दैनिक भास्कर से कहा, इस विषय में राज्य के महाधिवक्ता से विधिक अभिमत लिया जा रहा है।

गुरु घासीदास साहित्य एवं संस्कृति अकादमी की याचिका पर बिलासपुर उच्च न्यायालय ने 19 सितम्बर को अपना फैसला सुनाया था। उसके बाद से पूरे प्रदेश की राजनीति गर्म हो गई। इसको इस तरह बताने की कोशिश हुई कि उच्च न्यायालय के फैसले से 2012 में बढ़ाया गया आदिवासी आरक्षण 32% से घटकर 20% हाे गया है। अनुसूचित जाति का आरक्षण 12% से बढ़कर 16% हो गया है और अन्य पिछड़ा वर्ग का आरक्षण 14% है। इसको लेकर आदिवासी समाज आंदोलित हो गया। विपक्ष ने भी सरकार के खिलाफ माेर्चा खोला हुआ है। सरकार बार-बार कह रही है कि वह आदिवासी आरक्षण को कम नहीं होने देगी। इससे यह बताने की कोशिश हो रही थी कि आरक्षण केवल आदिवासी समाज का प्रभावित हुआ है।

मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश भी विवादित हो गया

सरकार के विभिन्न विभागों में फैले भ्रम की वजह से मेडिकल कॉलेजों में चल रही प्रवेश प्रक्रिया विवादित हो गई है। संचालक चिकित्सा शिक्षा ने 9 अक्टूबर को प्रवेश के लिए नया आरक्षण रोस्टर जारी किया। इसमें अनुसूचित जनजाति को 20%, अनुसूचित जाति को 16%, अन्य पिछड़ा वर्ग को 14% और सामान्य वर्ग के गरीबों को 10% आरक्षण की व्यवस्था थी। चिकित्सा शिक्षा विभाग की यह व्यवस्था इस समझ पर आधारित थी कि 2012 की आरक्षण व्यवस्था को रद्द करने से वह उससे पहले की स्थिति में पहुंच गई। अब इसके खिलाफ भी उच्च न्यायालय में याचिका लगी हुई है।