ट्रैफिक थाने में खड़े हैं 300 जब्त वाहन, नही आते छुड़ाने, सीसीटीवी से पुलिस करती है निगरानी
कोरबा/ आकाशवाणी.इन
ट्रैफिक पुलिस चेकिंग करते समय किसी वाहन काे पकड़ ले ताे लाेग उसे तुरंत छुड़ाने के लिए कवायद में लग जाते हैं। माैके पर चालान हाेने पर रकम देकर आगे रवाना हाे जाते हैं, लेकिन ट्रैफिक थाना में पिछले 3 साल से करीब 3 साै दाेपहिया बाइक मालिक के आने के इंतजार में खड़ी हैं, पर उनके मालिक लेने आने काे तैयार नहीं है। नतीजन ये वाहन ट्रैफिक पुलिस का सिर दर्द साबित हाे रहे हैं। क्याेंकि उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालनी पड़ रही है.
पहले शराब पीकर वाहन चलाने वालाें पर कड़ी कार्रवाई नहीं हाेती थी क्याेंकि तब शराब की मात्रा जांचने के लिए एल्काेहल मीटर नहीं थे। तब ट्रैफिक पुलिस सामान्य कार्रवाई करके चालान लेकर उन्हें छाेड़ देती थी, लेकिन एल्काेहल मीटर मिलने के बाद समय-समय पर पुलिस वाहनाें चालकाें की जांच करते हुए शराब पीकर वाहन चलाने वाले लाेगाें काे पकड़ा जाने लगा। 3 साल पहले अभियान चलाकर ऐसे वाहन चालकाें काे पकड़ा गया। नए कानून के मुताबिक शराब पीकर वाहन चलाने वालाें पर आगे की कार्रवाई काेर्ट से की जानी हाेती है, इसलिए पुलिस ने ऐसे चालकाें के वाहन जब्त कर ट्रैफिक थाना परिसर में सुरक्षित रखवा दिया। तब उम्मीद थी कि लाेग काेर्ट में जुर्माना अदा कर अपने वाहन ले जाएंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। ज्यादातर वाहन मालिक काेर्ट में लगने वाले तगड़े जुर्माना के चलते दाेपहिया छुड़ाने नहीं आए ताे कई कागजात अधूरे हाेने के चलते सामने नहीं आए। अब ट्रैफिक थाना परिसर में पार्किंग शेड में ऐसे 3 साै वाहन धूल खा रहे हैं। जब्त वाहनाें के वापसी या नीलामी का प्रावधान नहीं हाेने से मामला अटका हुआ है.
सीसीटीवी की निगरानी में वाहनाें की कर रहे सुरक्षा
ट्रैफिक थाना परिसर में जब्त वाहनाें की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी अहम है। क्याेंकि काेर्ट से सुपुर्दनामा आदेश जारी होने के बाद वाहन साैंपते समय किसी तरह की खामियां हाेने पर आराेप थाना में पदस्थ पुलिस कर्मियाें पर लगेगा। इसलिए सीसीटीवी के निगरानी में जब्त वाहनाें काे रखा गया है। समय-समय पर उक्त स्थान व वाहनाें की सफाई कराई जाती है। जिससे वाहन खराब न हाे.
कभी-कभार लाेग पहुंचते हैं वाहन छुड़ाने के लिए
ट्रैफिक थाना में पदस्थ कर्मचारियाें के मुताबिक बार-बार नाेटिस भेजे जाने के बाद कभी-कभार ही काेई मालिक वाहन छुड़ाने के लिए पहुंचते हैं। जिनका प्रकरण बनाकर काेर्ट भेजा जाता है। जहां जुर्माना अदा करने के बाद वाहन काे वापस सुपुर्द किया जाता है। लेकिन 3 साै वाहन के बीच उनके वाहन काे ढूंढना और बाहर निकालना मशक्कत भरा रहता है। वाहनाें में धूल जमे हाेने के कारण वर्दी भी गंदा हाे जाती है.
कई बार भेजा जा चुका है वाहन मालिकाें काे नाेटिस
ट्रैफिक डीएसपी शिवचरण सिंह परिहार के मुताबिक शराब पीकर वाहन चलाने के मामले में जब्त वाहनाें काे ट्रैफिक थाना परिसर में सुरक्षित रखा गया है। करीब 2-3 साल से वाहन पड़े हैं उनके मालिक लेने नहीं आ रहे हैं। ट्रैफिक थाना से कई बार उन्हें इस संबंध में नाेटिस भेजा जा चुका है.
