Sunday, June 15, 2025
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दीपक कुमार के पारिवारिक व्यवसाय मे मनरेगा का पशु शेड बना वरदान, कमाई दो गुना हुई

आकाशवाणी.इन

दीपक कुमार के पारिवारिक व्यवसाय मे मनरेगा का पशु शेड बना वरदान, कमाई दो गुना हुए

पहले छोटे स्तर पर उत्पादन करने वाले भाइयों ने खोल ली खुद की डेयरी दुकान

 कलेक्टर एवं जिला कार्यक्रम समन्वयक कोरिया श्रीमती चंदन त्रिपाठी के मार्गदर्शन महात्मा गांधी नरेगा नित नई उचाईयां छू रहा है. उनके द्वारा मनरेगा की सतत समीक्षा एवं निर्देशों से मैदानी स्तर पर योजना क्रियान्वयन में भी अपेक्षित परिवर्तन निरंतर जारी है.इसी कड़ी में परंपरागत व्यवसाय को आगे बढ़ाने की सोच लेकर मेहनत करने वाले दो भाईयों के लिए मनरेगा की एक छोटी सी मदद ने उन्हे दोगुने लाभ की स्थिति में ला दिया है.पहले केवल चार पांच दुधारू पशु रखकर दुग्ध उत्पादन व्यवसाय करने वाले परिवार ने अब दस दुधारू पशु पाल लिए हैं और हर दिन चालीस से पचास लीटर दूध का उत्पादन कर खुद की डेयरी का व्यवसाय भी स्थापित कर लिया है.

कोरिया जिले के वनांचल जनपद पंचायत सोनहत के समीप ग्राम मेण्ड्रा में रहने वाले दीपक कुमार और दीनू कुमार दो भाई है जो अपने परिवार के साथ खेती बाड़ी और सामान्य तौर पर दूध का व्यवसाय करते हैं.लंबे समय से इस परिवार को अपने परंपरागत दूध उत्पादन के व्यवसाय से कुछ खास लाभ नहीं हो रहा था क्योंकि यह चाहकर भी ज्यादा दुधारू पशु नहीं रख पा रहे थे.ऐसे समय में इन्हे महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत मिलने वाले पशु शेड निर्माण की मदद मिली.इनके आवेदन पर ग्राम पंचायत के अनुमोदन पश्चात कोरिया जिला पंचायत से हितग्राहियों के पक्के पशु शेड निर्माण कार्य हेतु एक लाख इकतीस हजार रूपए की प्रशासकीय स्वीकृति प्राप्त हुई. कार्य एजेंसी ग्राम पंचायत द्वारा इसी वर्ष फरवरी माह से कार्य प्रारंभ कराया गया और पक्के पशु शेड का निर्माण कार्य जून में पूरा हो गया.

हितग्राही दीपक कुमार और उनके भाई दीनू कुमार ने बताया कि पक्का शेड बन जाने से पशुओं को रखने की समस्या का स्थायी समाधान हो गया.इसके तुरंत बाद इन्होने पांच और दुधारू गाय और भैंस खरीदकर दुग्ध उत्पादन को बढ़ाया. अब इनके घर पर प्रतिदिन 40 से 50 लीटर दूध का उत्पादन हो रहा है.हितग्राहियों ने बताया कि गांव से विकासखण्ड मुख्यालय की दूरी ज्यादा नहीं है.प्रतिदिन दूध का उत्पादन 50 रूपए प्रतिलीटर के मान से बेचते हैं और जो दूध बच जाता है उससे दही,पनीर और खोवा जैसे अन्य उत्पाद बनाकर बेच लेते हैं.अब उनकी कमाई प्रतिदिन के हिसाब से लगभग दो गुनी हो गई है.मनरेगा की एक छोटी सी मदद ने एक परिवार के जीवन का स्तर ही बदल दिया हैं.