Monday, June 16, 2025
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रॉयल्टी नही है तो क्या, रेत निकालने एक रात के लिये 9 हज़ार देते हैं थाना में, खनिज विभाग को अलग चढ़ावा: ट्रैक्टर चालक

कोरबा/ आकाशवाणी.इन

रॉयल्टी नही है तो क्या एक रात के लिये 9 हज़ार देते हैं थाना में, खनिज विभाग को अलग चढ़ावा

ये कबूलनामा है रात के अंधेरे में अवैध रेत परिवहन कर रहे ट्रैक्टर चालक का।

वीडियो में नज़र आ रहा ये ट्रैक्टर चालक गुरुवार की रात गेरवा घाट से ट्रैक्टर में अवैध रेत के परिवहन कार्य में लगा था वीडियो बना रहे किसी व्यक्ति द्वारा जब इनसे पूछा गया रेत का रॉयल्टी पर्ची नही है फिर भी इतने महंगे दामों में विक्रय कर रहे हैं, इतना सुनते ही चालक ने कहा रॉयल्टी नही है तो क्या हुआ 9 हज़ार रुपया देते हैं थाने में, खनिज विभाग को देते हैं ओ अलग। चालक बता रहा है कि एक रात का 9 हज़ार देना पड़ता है उसके बाद रात भर जितना मर्जी चाहे रेत निकाल लो। लेकिन नोटों का चढ़ावा पहले चढ़ाना पड़ता है महीने में। इस वीडियो में चालक की बातें सुनकर आप भी दंग रह जाएंगे.

रेत के अवैध खनन व परिवहन पर नकेल कसने शासन के शख़्त निर्देश बाद भी राताखार गेरवा घाट क्षेत्र में शाम होते ही अवैध रेत का कारोबार धड़ल्ले से शुरू हो जाता है नदी में एक साथ दर्जनों ट्रैक्टर रेत के अवैध परिवहन कार्य मे लगा रहता है। माफिया बेखौफ होकर शासन को राजस्व की छति पहुँचाते हुए खुद मोटी कमाई कर रहे हैं.

गौर करें! एक चालक बता रहा है कि एक ट्रैक्टर को एक रात के लिए अवैध रेत खनन करने के एवज में 9 हजार रुपये थाना में देते हैं और खनिज विभाग को अलग से देना पड़ता है उसके बाद आप जितना चाहे रेत निकाल लो। सूत्र बताते हैं कि दो दर्जन से भी अधिक ट्रैक्टर प्रति रात रेत के अवैध खनन परिवहन में लगे हुए हैं। बाज़ार में रेत का दाम बढ़ने की वजह कहीं ये तो नही? चालक की बात सुनकर लगता है शायद इन्हें अवैध रेत खनन परिवहन के लिए खुली छूट मिली है.

रेत खदान का संचालन शुरू होने में लेट लतीफी का सीधा फायदा रेत माफिया उठा रहे हैं, शहर में अवैध रेत का कारोबार जोरों से चला रहे हैं। रेत की कालाबाजारी इतना तेजी से चल रहा है कि परिवहन में बाधा बन रहे खनिज विभाग के बैरियर को भी पिछले दिनों तोड़ दिया गया.

यहाँ बताना होगा कि शासन अब रेत खदानों का संचालन ठेका सिस्टम से बंद कर रही है, इसलिए जिन खदानों की ठेका अवधि पूरी हो चुकी है। ऐसे शहरी क्षेत्र के रेत खदान को नगरीय निकाय और ग्रामीण क्षेत्र के खदान को संबंधित ग्राम पंचायत को सौंपा जाना है, लेकिन एनजीटी के प्रतिबंध अवधि को 1 महीने से भी ज्यादा समय बीतने के बाद भी शासन से अब तक गाइडलाइन नहीं आई है। ऐसे में ठेका अवधि पूरी होने के बाद भी जिले के कई खदान शुरू नहीं हो सके हैं। इनमें शहर के गेवराघाट-2 और मोतीसागर पारा रेत खदान शामिल है। नए नियम के अनुसार दोनों घाट को निकाय को सौंपा जाना है, पर अब तक गाइडलाइन का इंतजार चल रहा है। दूसरी ओर शहरी क्षेत्र में निर्माण कार्यों के लिए रेत की डिमांड अधिक है। इसलिए रेत माफिया का कारोबार जोरों पर है। इन लोगों पर किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं हो रही है इसलिए हिम्मत भी बढ़ गई है। और बढ़े भी क्यों न जब ट्रैक्टर चालक बता रहे हैं कि एक रात के लिए 9 हजार पटाते हैं और खनिज विभाग को अलग से चढ़ावा चढ़ाते हैं। चालक की बात में कुछ तो सच्चाई है तभी तो रातभर हसदेव नदी से रेत की खुल्लमखुल्ला अवैध सप्लाई है.

रेत के अवैध खनन व परिवहन को रोकने की मूल जिम्मेदारी खनिज विभाग की है, जिसकी दो टीम निगरानी में लगी है। टीमें आउटर में कार्रवाई कर रही है पर मोतीसागर पारा व गेरवाघाट खदान पर टीम की नजर नहीं पड़ रही है। आखिर क्यों? राजस्व विभाग के एसडीएम व तहसीलदार भी आउटर में कार्रवाई करने में आगे रहते हैं। पुलिस विभाग की पेट्रोलिंग टीम भी कार्रवाई नहीं करती है.

खनिज विभाग के रायल्टी के आधार पर रेत की प्रति ट्रैक्टर दर 491 रुपए है। इस तरह परिवहन भाड़ा जोड़कर घर तक रेल पहुंचाने का करीब 1 हजार रुपए लगेगा, लेकिन अभी शहर में रेत खदान बंद है। आउटर के खदान से रेत आपूर्ति हो रही है, जहां से भाड़ा अधिक पड़ रहा है। इसलिए ज्यादातर ट्रैक्टर मालिक शहर की खदानों से रेत निकलवाकर 4 गुना दाम में खपा रहे हैं.

बहरहाल आकाशवाणी.इन को मिले इस वीडियो में चालक की बात को शासन प्रशासन गंभीरता से लेकर जाँच पड़ताल कराए तो रेत के अवैध कारोबार से जुड़े व इन्हें शह देने वाले बेनकाब हो जाएंगे.